वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि पृथ्वी के निकट एक नया सह-कक्षीय क्षुद्रग्रह (co-orbital asteroid) खोजा गया है, जिसे 2025 PN7 नाम दिया गया है। यह क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा करता है, लेकिन इसकी कक्षा पृथ्वी के साथ इतनी समकालिक है कि इसे एक “क्वासी-मून” कहा जा रहा है। यह वस्तु पृथ्वी की गुरुत्वीय परिधि में बंधी नहीं है, परंतु पृथ्वी के चारों ओर ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह एक द्वितीय चंद्रमा की भांति घूम रही हो।
क्वासी-मून की वैज्ञानिक व्याख्या
क्वासी-मून (Quasi-Moon) वे वस्तुएँ होती हैं जो पृथ्वी के साथ समान कक्षीय आवृत्ति (orbital resonance) रखती हैं। ये वस्तुएँ सूर्य की परिक्रमा करती हैं, परंतु पृथ्वी के साथ गुरुत्वाकर्षणीय तालमेल में रहती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि वे पृथ्वी के पास स्थिर दिखती हैं, लेकिन वास्तव में स्वतंत्र रूप से सूर्य की परिक्रमा करती हैं।
2025 PN7 का व्यास लगभग 19 मीटर अनुमानित है। यह पृथ्वी के साथ लगभग 60 वर्षों से इस सह-कक्षीय स्थिति में है और वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह स्थिति 2083 तक बनी रह सकती है।
क्या वास्तव में पृथ्वी के दो चंद्रमा हैं?
“पृथ्वी के दो चंद्रमा हैं” जैसी हेडलाइनें सुनने में आकर्षक हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से यह कथन सही नहीं है। पृथ्वी का केवल एक ही प्राकृतिक उपग्रह है — हमारा चंद्रमा। 2025 PN7 एक क्षुद्रग्रह है जो सूर्य की परिक्रमा करता है, न कि पृथ्वी की। इसलिए इसे “दूसरा चंद्रमा” कहना एक रूपक (metaphor) है, न कि शुद्ध वैज्ञानिक भाषा।
NASA के अनुसार, यह वस्तु पृथ्वी के लिए किसी भी प्रकार का खतरा नहीं उत्पन्न करती है। इसकी कक्षा स्थिर और पृथ्वी की कक्षा से थोड़ी बाहर है, जिससे टकराव की कोई संभावना नहीं है।
क्वासी-मून की खोज और अध्ययन
2025 PN7 को पहली बार Pan-STARRS Observatory द्वारा खोजा गया था। बाद में NASA’s Jet Propulsion Laboratory (JPL) ने इसके ऑर्बिटल पैरामीटर्स की पुष्टि की। यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी के साथ एक विशेष 1:1 कक्षीय प्रतिध्वनि (resonance) में है — यानी इसका एक परिक्रमा काल लगभग पृथ्वी के समान है।
ऐसे क्वासी-मून पहले भी मिल चुके हैं। उदाहरण के लिए, 2016 में खोजा गया 469219 Kamoʻoalewa भी एक समान प्रकार की वस्तु है। वैज्ञानिक इन ऑब्जेक्ट्स को विशेष रुचि से देखते हैं क्योंकि ये पृथ्वी की कक्षीय गतिशीलता और ग्रहों के गुरुत्वीय संतुलन को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
क्या 2025 PN7 पृथ्वी के साथ स्थायी रहेगा?
NASA के खगोल भौतिकविदों का अनुमान है कि 2025 PN7 लगभग 2083 तक पृथ्वी के साथ सह-कक्षीय रहेगा। उसके बाद, गुरुत्वीय प्रभावों और सौर विकिरण दाब (solar radiation pressure) के कारण इसकी कक्षा धीरे-धीरे बदल जाएगी और यह पृथ्वी के निकट-पास क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा।
पृथ्वी और सूर्य प्रणाली में इसकी स्थिति
2025 PN7 सूर्य की परिक्रमा उसी दिशा में करता है जिस दिशा में पृथ्वी करती है, और इसकी औसत दूरी लगभग 1 खगोलीय इकाई (AU) के करीब है। इसके कारण यह पृथ्वी के साथ स्थिर दिखाई देता है। कंप्यूटर सिमुलेशनों से पता चलता है कि इसकी गति पृथ्वी की तुलना में धीमी और लंबी-चाप वाली कक्षा में है, जिससे यह कभी पृथ्वी के आगे और कभी पीछे दिखाई देता है।
वैज्ञानिक महत्व और भविष्य के अध्ययन
क्वासी-मून जैसी वस्तुएँ सौरमंडल की गतिशीलता, गुरुत्वीय परस्पर क्रियाओं और संभावित अंतरिक्ष खनन (space mining) के लिए महत्वपूर्ण हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि ऐसे ऑब्जेक्ट्स भविष्य में अंतरिक्ष अभियानों के परीक्षण स्थल बन सकते हैं क्योंकि वे पृथ्वी के सापेक्ष अपेक्षाकृत सुरक्षित दूरी पर रहते हैं।
निष्कर्ष
संक्षेप में, पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक चंद्रमा वही है जो हमें हर रात दिखाई देता है। 2025 PN7 एक अद्वितीय क्वासी-मून है — एक खगोलीय साथी जो हमारे साथ सीमित समय तक यात्रा कर रहा है। यह खोज न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से रोमांचक है, बल्कि यह सौरमंडल के गुरुत्वीय संतुलन को समझने में एक नया अध्याय खोलती है।
Sources: NASA JPL, ESA, Science Focus, Wikipedia, Economic Times,
Author: Muhammad Sultan Alam | Category: Science & Space | Updated: October 2025
