बिहार का रोहतास (Rohtas) जिला अपने प्राचीन किलों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। लेकिन यहाँ घने जंगलों और कैमूर की पहाड़ियों के बीच कुछ ऐसे रहस्य (mysteries) भी दबे हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इन्हीं में से एक है एक छोटी, गुमनाम जलधारा, जिसे स्थानीय लोग कई बार 'रक्त-धारा' या 'खून वाली नदी' कह देते हैं। जब हमने इसकी गहराई से पड़ताल (research) की, तो जो सामने आया वह बेहद चौंकाने वाला था।
क्या है इस 'खून' जैसी नदी का सच? (What is the Truth?)
यह कोई बड़ी नदी नहीं है, बल्कि रोहतासगढ़ किले (Rohtasgarh Fort) के पास घने जंगलों से निकलने वाली एक मौसमी (seasonal) जलधारा है। यह धारा मुख्य रूप से सोन नदी में मिलने से पहले एक संकरे रास्ते से गुज़रती है। हमने पाया कि इस धारा का पानी हमेशा लाल नहीं होता है। यह घटना ज़्यादातर बरसात के मौसम में या उसके ठीक बाद देखने को मिलती है।
स्थानीय गाइडों और कुछ पुराने निवासियों से बात करने पर पता चला कि लोग इसे एक अभिशाप (curse) मानते हैं, जो सदियों पहले किले में हुए किसी रक्तपात से जुड़ा है। लेकिन क्या इसका कोई वैज्ञानिक (scientific) आधार है?
वैज्ञानिक कारण: अभिशाप नहीं, भूगोल है (The Scientific Reason)
हमारी टीम ने जब इस क्षेत्र के भूगोल (Geography) का विश्लेषण किया, तो इस लाल रंग के पीछे का असली कारण सामने आया। यह कोई जादुई या डरावनी घटना नहीं, बल्कि पूरी तरह से प्राकृतिक (natural) है।
मिट्टी में 'हेमेटाइट' की अधिकता
यह पूरा क्षेत्र, विशेषकर कैमूर की पहाड़ियाँ, खनिज-संपदा (minerals) से भरी हैं। यहाँ की मिट्टी में लौह-अयस्क (Iron Ore), खास तौर पर 'हेमेटाइट' (Hematite) की मात्रा बहुत ज़्यादा है। 'हेमेटाइट' लोहे का ही एक ऑक्साइड है, जिसका रंग प्राकृतिक रूप से गहरा लाल या जंग (rust) जैसा होता है।
जब बारिश का पानी तेज़ी से इस मिट्टी और इन चट्टानों से होकर गुज़रता है, तो वह अपने साथ हेमेटाइट के इन सूक्ष्म (microscopic) कणों को घोल लेता है। ये कण इतने बारीक होते हैं कि पानी का रंग ही पूरी तरह से लाल या गहरा नारंगी, यानी 'खून जैसा' हो जाता है।
खास तरह के शैवाल (Algae)
भूवैज्ञानिकों (Geologists) के अनुसार, एक और कारण यहाँ पाए जाने वाले खास तरह के शैवाल (Algae) हो सकते हैं। कुछ खास मौसम में, जब पानी में पोषक तत्व (nutrients) बढ़ जाते हैं, तो 'ट्रैकेलोमोनास' (Trachelomonas) जैसे शैवाल तेजी से पनपते (bloom) हैं। इनमें लाल रंग के पिगमेंट (pigment) होते हैं, जो पानी को लाल रंग दे सकते हैं।
क्या आपको यह जगह देखनी चाहिए? (A Call to Action)
अगर आप रोहतास घूमने जा रहे हैं, तो रोहतासगढ़ किले के ट्रैक (trek) के दौरान आप इस जलधारा को देख सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि यह नज़ारा आपको शायद सिर्फ मॉनसून (Monsoon) के बाद ही देखने को मिलेगा। यह कोई डरावनी जगह नहीं, बल्कि प्रकृति का एक खूबसूरत और अनोखा कारनामा है।
तो, रोहतास की यह 'खून' जैसी दिखने वाली नदी कोई अभिशाप या रहस्य नहीं, बल्कि विज्ञान और भूगोल का एक जीता-जागता उदाहरण है। यह हेमेटाइट युक्त मिट्टी और खास शैवाल का मिला-जुला असर है, जो पानी को यह अनोखा रंग देता है।
क्या आप रोहतास के ऐसे ही और रहस्यों के बारे में जानना चाहते हैं? हमें कमेंट्स में बताएँ!