सका क्षेत्रफल 56 वर्ग किलोमीटर है और यह 2023 तक विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क है जिसमें कुल 2,245 मेगावॉट (एमडब्ल्यू) की स्थापित क्षमता है।
थार मरुस्थल में भादला सोलर पार्क की एक तस्वीर |
पार्क का विकास 2015 से चार चरणों में हुआ है, जिसमें $775 मिलियन का वित्तीय सहायता क्लाइमेट इन्वेस्टमेंट फंड से और $1.4 बिलियन का वित्तीय सहायता अन्य स्रोतों से प्राप्त हुआ है।
इस पार्क से भारत के नवीनीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों में योगदान होता है और इसके माध्यम से वायुमंडलीय गैसों की कितनी ही तक की काटून घटाई जा सकती है।
इस पार्क ने निर्माण और संचालन के दौरान लगभग 10,000 सीधे और अप्रत्यक्ष नौकरियां बनाई हैं।
इस पार्क ने क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार किया है।
भादला सोलर पार्क भारत के स्वच्छ ऊर्जा के मार्ग में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह एक उदाहरण है कि सौर ऊर्जा का उपयोग करके बड़ी मात्रा में बिजली उत्पन्न की जा सकती है, साथ ही साथ वायुमंडलीय गैसों की कटौती की भी संभावना है।
यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी है भादला सोलर पार्क के बारे में:
- पार्क में सोलर पैनलों को पंक्तिबद्ध किया गया है जो 100 मीटर लंबी और 5 मीटर चौड़ी होती हैं।
- पार्क की क्षमता अनुमानित गतिशीलता कारक लगभग 25% है, जिसका मतलब है कि यह वर्ष के लगभग 25% समय तक बिजली उत्पन्न कर सकता है।
- पार्क से उत्पन्न बिजली के आधार पर लगभग 1.5 मिलियन घरों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है।
- पार्क सालाना लगभग 4 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की बचत करने की उम्मीद है।
भादला सोलर पार्क भारत के स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह वहां ऊर्जा के लिए अन्य देशों के लिए भी एक मिसाल है जो नवीनीकरणीय ऊर्जा की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं। इस पार्क के माध्यम से भारत ने न सिर्फ बड़ी मात्रा में बिजली उत्पन्न की है, बल्कि इसने क्षेत्र की आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ाया है। भादला सोलर पार्क द्वारा उत्पन्न ऊर्जा भारतीय घरों को सुरक्षित, सस्ती और स्वच्छ बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।